शान्ति पाठ
ॐ द्यौ: शान्तिरन्तरिक्ष शान्ति:पृथिवी शान्तिराप:
शान्तिरोषधय: शान्ति: वनस्पतय: शान्तिर्विश्वेदेवा: शान्तिर्ब्रह्म
शान्ति:सर्वँ शान्ति: शान्तिरेव शान्ति:सामा शान्तिरेधि सुशान्तिर्भवतु।
॥ॐ शान्ति: शान्ति: शान्ति: ॥
अर्थ : स्वर्ग लोक में शान्ति हो, अंतरिक्ष में शान्ति हो, पृथ्वी पर शान्ति हो, जल में शान्ति हो, औषधियां शान्त हों, वनस्पतियां शान्त हो, विश्व के देव शान्त हो, ब्रह्मदेव शान्त हों, सर्वत्र शान्ति हो, शान्ति ही शान्त हो, सम्पूर्ण शांति हो, मुझे शान्ति प्राप्त हो, सर्वत्र शुभ शान्ति हो.
॥ॐ शान्ति, शान्ति, शान्ति॥
सर्वे भवन्तु सुखिन: सर्वे सन्तु निरामया: ।
सर्वे भद्राणि पश्यन्तु मा कश्चिद् दु:ख भाग्भवेत् ॥
अर्थ : सभी सुखी हों, सभी निरोगी हों, सभी को शुभ दर्शन हों और कोई दु:ख से ग्रसित न हो.
असतो मा सदगमय ॥ तमसो मा ज्योतिर्गमय ॥ मृत्योर्मामृतम् गमय ॥
॥ॐ शान्ति, शान्ति, शान्ति॥
अर्थ : हमको – असत्य से सत्य की ओर ले चलो। अंधकार से प्रकाश की ओर ले चलो। मृत्यु से अमरता की ओर ले चलो.
॥ॐ शान्ति, शान्ति, शान्ति॥
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